Tuesday, June 17, 2014

शुक्रताल का रहस्य

<> सन्दर्भ : भागवत : 1.9 <> 
°° वह स्थान कहाँ है जहाँ 16 वर्षीय व्यास जी के पुत्र शुकदेव जी सम्राट परीक्षित को उनके अंतिम समय आनें पर 18000 श्लोकोंकी भागवत - कथा सुनाई थी ? जबकि शुकदेव जी किसी जगह पर मात्र उतनें समय तक रुकते थे जितना समय एक गायके दूध को निकालनें में लगता है । 
** इस सम्बन्ध में भागवतमें जो कहता है उसे ध्यान से समझें :- ●गंगाके तट पर जहाँ परीक्षित बैठे थे ● 
1- वह गंगाका दक्षिणी तट था ।अर्थात वहाँ गंगा पश्चिम से पूर्व की ओर बह रही थी जबकि आज हरिद्वार से हस्तिनापुरके मध्य गंगा कहीं भी पूर्व मुखी नहीं दिखती । 
2- परीक्षित उत्तर मुखी कुशके आसन पर बैठे थे । 
3- कुश पूर्व मुखी स्थिति में बिछाए गए थे अर्थात कुश के नोकीले छोर पूर्व मुखी रखे गए थे ।अब आगे :--- 
<> आज हरिद्वारसे हस्तिनापुर तक गंगा उत्तर से दक्षिण दिशा में बह रही हैं ।ज्यादातर लोगोंका मानना है कि मुज़फ्फरनगर से पूर्व में स्थित शुक्रताल वह स्थान है जहाँ सुकदेवजी परीक्षितको भागवत कथा सुनाया था । शुक्रताल हस्तिनापुर से लगभग 50 किलो मीटर उत्तर में है और गंगाके ठीक तट पर नहीं है । शुक्र ताल मुज़फ्फर नगर से लगभग 28 किलो मीटर पूर्व में गंगा की ओर है ।हो सकता है कि उस समय गंगा शुक्रताल से बह रही हों और वहाँ उनका बहाव पूर्व मुखी रहा हो ।
 ** परीक्षित के बाद 6वें बंशज हुए नेमिचक्र जिनके समय में गंगा हस्तिनापुर को बहा ले गयी थी और नेमिचक्र यमुना के तट पर प्रयाग केपास स्थित कौशाम्बी नगरमें जा बसे थे । 
* कौशाम्बी बुद्ध के समय एक ख्याति प्राप्त ब्यापारिक केंद्र होता था जो बुद्ध के आवागमनका भी केंद्र था । 
* जब गंगा हस्तिनापुर को बहा के गयी उस समय गंगा का मार्ग आजके शुक्रताल से कुछ और पूर्व की ओर हो गया हो । हस्तिनापुर को गंगा आज से लगभग 3450 साल पहले बहा ले गयी थी ( देखें भागवत : 12.1-12.2 )। 
~~~ हरे कृष्ण ~~~

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